tag:blogger.com,1999:blog-47392940915155313262024-02-20T00:23:59.644-08:00संवाद सेतुसमाज के लिए संवाद का सेतु बनने का प्रयास है मेरा | समाचार एवं संवाद संकलित कर सबके समक्ष लाना मेरा हेतु है I कोई भी आपस में रार -तकरार न करें | आपस में संवाद करें, सूचनाएं प्राप्त करे, सूचनाएं प्रसारित करें | इसी से बड़ी से बड़ी समस्या का हल हो सकता है | मेरे साथ आइये, संवाद सेतु बनिए! शायद हम मिलकर इस त्रस्त समाज को सुख के कुछ क्षण दे सकें |
गुलाम नबी
संवाददाता
+919414095786संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-22118276757661450172010-03-18T23:54:00.000-07:002010-03-19T01:03:21.550-07:00लैला मजनू की मजार के अब दिन फिरेंगेराजस्थान के श्रीगंगानगर जिले और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित लैला मजनू की मजार पर अब जिला प्रशासन की नई पहल के बाद उम्मीद जगी है। करीब सौ साल पुरानी इस ऐतिहासिक मजार पर दुखी लोग मन्नतें मांगते हैं और उनकी मन्नतें पूरी भी होती हैं परंतु इस मजार की व्यवस्था सुधारने के लिए मांगी गई मन्नतों का इतने वर्षों तक जिला प्रशासन पर कोई असर नहीं हुआ और अब जिला पर्यटन विकास समिति ने इसके लिए पहल की है।<br /><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dy0alVEKSKi2jypJR55_8poowSj-qC1vdSyZf1YHV9zzWlM5fJjq8IAv0liaNEZTGJm2pxs5P4hpYv6DrFy' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-22974237634839786922010-03-15T20:23:00.000-07:002010-03-15T20:43:07.098-07:00रेडियो वाली दादीअकेलेपन में रेडियो का सहारा<br />शौक किसी भी चीज का हो सकता है और शौक के लिए उम्र की भी कोई सीमा नहीं होती। जिले की नोहर तहसील के परलीका गांव निवासी दाखां देवी ने भी इसी बात को साबित कर दिखाया है। करीब चालीस साल से प्रतिदिन 18 घण्टे रेडियो सुनने वाली दाखां देवी गांववालों के लिए रेडियो वाली दादी के नाम से मशहूर हो चुकी है<br />ये है परलीका निवासी दाखां देवी। चालीस वर्ष पूर्व पति की मौत के बाद अकेलेपन को दूर करने के लिए दाखां देवी ने रेडियो का सहारा लिया। महज समय गुजरने के लिए हाथ में लिया गया रेडियो कब दाखां देवी के लिए सबकुछ बन गया इसका पता तो दाखां देवी को स्वयं को भी नहीं परंतु आज यही रेडियों दाखां देवी के लिए जुनून बना हुआ है। प्रतिदिन प्रात: 5 बजे उठकर रेडिया लगाना और दिनभर खाना बनाने से लेकर सभी काम करते समय रेडियो सुनना उसकी आदत में शुमार है।<br />निरक्षर दाखां देवी को सभी रेडियो स्टेशन के नाम याद हैं तो उनके कार्यक्रम भी उसको मुख जबानी याद है। दाखां देवी के इसी शोक के कारण जहां गांव वाले उसे रेडियो वाली दादी के नाम से पुकारते हैं तो ग्रामीणों के लिए दाखां देवी का शोक अनोखा भी है। ग्रामवासियों का कहना है कि पिछले 40 सालों से वे प्रतिदिन दाखां देवी के हाथ में रेडियो ही देखते आ रहे हैं।<br />आज टीवी और एफएम रेडियो के युग में भी टीवी की बजाय रेडियो को तवज्जो दे रही दाखां देवी गांववासियों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। अपने किसी के चले जाने के बाद अकेलेपन को भूलाने के लिए दाखां देखी द्वारा लिये गये रेडिये के सहारे को चाहे शौक बोलें, चाहे जुनून या फिर पागलपन। पर दाखां देवी ने यह तो साबित कर ही दिया कि अकेलेपन को दूर करने के कई सहारे होते हैं जिनमें रेडियो भी एक है और आज भी रेडियो का जमाना गया नहीं है।<br />गुलाम नबी की रिपोर्ट<br /><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dzbZeBQz1_Clpf4M1ymYANifVtrT2bvVhGn4JdUiY491SqGI5GB1NDr8SLcbYFSY04aeSUyCYqZ63UeiTYrfQ' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-19797980475713313452010-03-14T23:27:00.000-07:002010-03-14T23:51:23.861-07:00राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए विद्यार्थी आगे आयेएक और जहाँ समूचे राजस्थान में राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए राजस्थानी आन्दोलनरत है वहीं अब स्कूली बच्चों ने भी आन्दोलन के इस यज्ञ में आहुति दे दी है! इसका उदाहरण है नोहर में परलिका गाँव की पूनम--! पूनम को यकीं है की एक दिन उसका ये प्रयास रंग लायेगा!<br />मायाड भाषा की मान्यता के लिए अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रयास काफी जोर शोर से चल रहे है! इन्ही प्रयासों से प्रेरणा लेकर नोहर में परलिका गाँव की पूनम ने भी मायाड भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की अलख जगा दी है! पूनम परलिका गाँव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की कक्षा 12 की छात्रा है! पढ़ाई के साथ साथ वह न केवल राजस्थानी साहित्य को कंठस्थ करने में लगी है वल्कि कई राजस्थानी कवियों की रचनाएँ उसे कंठस्थ भी है! पूनम का मानना है की वह हर एक स्कूली बच्चे के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनकर राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए चल रहे संघर्ष में सहयोग का आह्वान करेगी!<br />पूनम के इन प्रयाशों से उसके अभिभावक ही नही शिक्षक और यहाँ तक की राजस्थानी साहित्य की धरोहर समझे जाने वाला समूचा परलिका गाँव भी अभिभूत है! पूनम के इन प्रयासों में साहित्यकार और शिक्षक हर कोई पुरा सहयोग कर रहे है! सभी का मानना है की राजस्थानी भाषा की मान्यता में अखिल राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रयासों के साथ साथ उच्च माध्यमिक स्कुल की इस छात्रा की मेहनत भी रंग लाएगी!<br />संविधान में क्षेत्रीय भाषाओँ के लिए बने आठवें अनुछेद में राजस्थानी भाषा को शामिल कर उसे मायाड भाषा का दर्जा दिलाने के लिए अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति पिछले लंबे अरसे से प्रयासरत है! समिति के ये प्रयास अब मान्यता के करीब पहुँच चुके है ऐसे में पूनम और इससे प्रेरणा लेकर भाषा की मान्यता का अलख जगाने वाले स्कूली बच्चों के प्रयास रंग लायेंगे इसमे कोइसंदेह नहीं राजस्थानी भाषा के liye गाँव के विद्यार्थियों ने राजनीती से jude लोगो को भी चेता दिया है की आपको वोट भी तभी मिलेंगे जब पहेले राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलेगी <span><span><span>गु</span>ल</span>ाम</span> नबी!<br /><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dyG3-xpzIkqXNTIpvkxoyk4jsVGAC1QU2pazr6YnQ74grNf5AnGEPkjKl7WcCNbCaKYNhNMLRE3tnbgrnOQxw' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dzJkcPbj5XKDG-MbVdjc-6lqWz9rhWHkQWuKn_m-XB4r5bwX51-i8fh3IgYDES0BSm04kzGPGIkma9JUmZJ' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dwytTi_oDTKCn30myzUeii9lqLVP-Zr1IyWQrDXhO9nDFL2zE2AJcWrzSmGSribtTMekGXES5sJgFvCyXNo3g' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-8491173617219061692010-03-14T07:35:00.000-07:002010-03-14T07:53:19.647-07:00लाख-लाख रुपए के बकरेआमजन के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं शौकत अली के बकरे<br />कुदरत के रंग भी निराले होते हैं और कई बार कुदरत ऐसे-ऐसे कारनामे करती है कि देख्ाने वाला हैरान रह जाता है। हनुमानगढ जिले के गांव रोडांवाली निवासी शौकत अली के घर पर बंधे बकरे भी ऐसी ही हैरानगी पैदा करने वाला विषय बने हुए हैं।<br />मुसलमान समुदाय के प्रसिद़ध त्यौहार बकरीद के नजदीक आते ही बकरीद के दिन कुर्बानी देने के लिए बकरों की खरीद फरोख्त का सिलसिला प्रारंभ हो गया है रोडांवाली गांव निवासी शौकत अली के घर पहुंच रहे खरीददारों को यहां पर एक नया तौहफा मिल रहा है और वो है गाय के आकार के विशालकाय बकरे। आम बकरों से कहीं ज्यादा बडे ये बकरे सभी के लिए कोतूहल का केन्द्र बने हुए हैं। इनमें से कई बकरों की लम्बाई तो साढे पांच फुट तक है और मोटाई की बात करें तो इनमें से कई बकरे 150 किलो से भी ज्यादा के हैं। ग्राहकों का मानना है कि इनमें से प्रत्येक बकरे से एक क्विंटल गौश्त प्राप्त हो सकता है।<br />शौकत अली के इन बकरों की कीमत प्रति बकरा सत्तर हजार तक लग चुकी है मगर शौकत अली अपनी इस अनमोल चीज को एक लाख से कम बेचने को तैयार ही नहीं है जिस कारण ग्राहक यहां से निराश लौट रहे हैं। इन बकरों को देखने के लिए जहां पंजाब, हरियाणा के अलावा राजस्थान के दूर दराज के क्षेत्रों से ग्राहक पहुंच रहे हैं तो ग्रामवासी भी इन बकरों को देखकर हैरान हैं। ग्रामीणों व यहां आने वाले ग्राहकों का मानना है कि उन्होने अपनी जिदंगी में इतने बडे-बडे बकरे नहीं देखे।<br />अब जबकि ये बकरे सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं तो शौकत अली के लिए इन बकरों को पालना भी किसी समस्या से कम नहीं है। इनमें से प्रत्येक बकरा प्रतिदिन की खुराक में 5 किलो चने की दाल और 5 किलो दूध पी जाता है जिसके चलते शौकत अली को इनके पालन पौषण में भारी मशक्कत का सामना करना पड रहा है।<br />अब इसे कुदरत का करिश्मा कहें या शौकत अली की अथक मेहनत का परिणाम की ये बकरे सभी के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। बकरीद के त्यौहार के मद़देनजर शौकत अली के घर पहुंच रहे ग्राहक निराश लौट रहे हैं तो साथ ही वे एक नई अनुभूति भी प्राप्त कर रहे हैं।<br />हनुमानगढ से गुलाम नबी की विशेष रिपोर्ट।<br /><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dxQpy8bRFvTX9LvR9IDxAXhbaKXckV4H40a5-JJM0D8FE5olQFY1N7Qe7n5znQg0Blu351Wx7fGj4jyivw4oA' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-7373685356510524762010-03-14T06:53:00.000-07:002010-03-14T07:19:57.208-07:00शराबी पुलिस वालाहम सब पुलिस के रवैये से वाकिफ है और वर्दी के पीछे छुपे चहरे को भी अच्छी तरह जानते हैं....मैं आपको इस न्यूज़ के जरिये पुलिस का एक रूप और दिखता हूँ जो की आपने शायद ही देखा हो.....<br /><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dzBZUOobEyMnctKePhNbYoIAY0fxzeeJ__-COGrqF1IYUO88dpqmExjcbIC7owFE5LIAysu5PR43SKQwRYOWA' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-90484931161109035012010-03-14T01:55:00.000-08:002010-03-14T03:21:40.486-07:00विज्ञानं को सलामछोटी सी उम्र में उसने ऐसे ऐसे अविष्कार किये है जिसे देख कोई भी दांतों तले ऊँगली दबा ले....<br /><span>प्रस्तुत है गुलाम नबी की रिपोर्ट.....</span><br /><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dxImLDRx2fkS2FElXgippUvDpQYxkQ8HJkONfw5zmTCdQxNA7nFxs6poN-Q8FzrRi-tpiu11mnLmBNKVMkAjQ' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-24829651864767923792010-03-14T01:27:00.000-08:002010-03-14T01:54:54.645-08:00हजारो साल पुरानी सभ्यता कर रही है पुकारहजारो साल पुरानी सभ्यता अपनी दशा पे आंसू बहा रही है मगर इसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है प्रस्तुत है गुलाम नबी की एक खास रिपोर्ट<br /><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dwILDcX-q-admLrDEp4y6ru4a9DY9-Xq1NA---uUelKjXsGWaM5g6dZtFxVng0_jcyqPm9BagJmof8wbPrt7A' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-86544221646169497442010-03-14T01:05:00.000-08:002010-03-14T01:26:19.715-08:00<p><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dwwMKTiE1JXQOw0b9PFDxgVBcUBMNvg8Hs9nfWMkfWYIYvdNd00zNr1nQgMacP43mAlXX6rFyfZqijzyys5gA' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></p><p>मन अगर कुछ करने का जज्बा हो तो क्या नहीं हो सकता....</p><p><span>इसी जज्बे को साबित कर दिखाया है हनुमानगढ़ की तहसील रावतसर के रामेश्वर लाल भीडासरा ने जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से रेगिस्थान में भी फूल खिला दिए है </span></p><p><span>प्रस्तुत है गुलाम नबी की एक रिपोर्ट </span></p>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-34450784419027225442010-03-14T00:39:00.000-08:002010-03-14T00:48:32.685-08:00<p><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dxvGWIK_3bpxv0AJ4Z9uKp6NHJIa7dbRwMXNijCFDG-o3VidwN0N5aWanLo3t3dNg2ZahS-a0LmPI7EVNfJPg' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></p><p>कला के न जाने कितने रंग होते हैं ...</p><p>यहाँ आप देख सकते हैं मिटटी की कला एक कलाकार द्वारा.....</p>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-73202477608698509902010-03-14T00:11:00.000-08:002010-03-14T00:26:57.563-08:00मर्डर न्यूज़<p><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' 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सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-64098735147811560132010-03-13T19:42:00.000-08:002010-03-13T20:57:04.318-08:00रिश्वतखोर पुलिस की पब्लिक ने की पिटाई<p><iframe allowfullscreen='allowfullscreen' webkitallowfullscreen='webkitallowfullscreen' mozallowfullscreen='mozallowfullscreen' width='320' height='266' src='https://www.blogger.com/video.g?token=AD6v5dzUuOYEd3mQ5GZDO13iphhzy1kL6HWibWafED7RBdQHya3lCYl-X2DnCfV0G6hB13G1RcLmXZ_mWL0_-SDaow' class='b-hbp-video b-uploaded' frameborder='0'></iframe></p><p>रिश्वतखोर पुलिस की पब्लिक ने की सरेआम पिटाई </p><p>हनुमानगढ़ से गुलाम नबी की वीओ आई राजस्थान के लिए रिपोर्ट </p>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-33218999681759523712010-03-13T10:38:00.000-08:002010-03-13T11:52:17.542-08:00क्राईम न्यूज़<iframe allowfullscreen='allowfullscreen' 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भगत है और उसकी पूजा रखता है और उपवास भी करता है </p><p>आपको मेरी बात पे विश्वास नहीं हो रहा तो आप खुद ही इस न्यूज़ को देख लीजिये जो कि मेने वीओ आई न्यूज़ चैनल में भेजी थी । गुलाम नबी की रिपोर्ट </p>संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-88146840247664471542010-03-13T07:27:00.000-08:002010-03-13T07:35:40.125-08:00कुदरत की नाइंसाफीहनुमानगढ़ जिले के भादरा कस्बे की धापा पढ़ना चाहती है लेकिन उसकी यह तम्मना पूरी नही हो पायेगी 16 वर्ष की धापा इस दुनिया में थोडे ही दिनों की मेहमान और है थोड़े ही दिन बाद वह मर जायेगी धापा के साथ कुदरत ने खेल ही कुछ ऐसा खेला है आईये आपको भी मिलवाते हैं इस बदनसीब मासूम सेा<br /><br /> धापा अब 16 साल की हो चुकी है जब यह पैदा हुई थी तब तीन साल तक यह बिल्कुल सामान्य रही तीन साल बाद इसने चारपाई पकड़ी तो आज तक उसे छोड़ नही पाई धापा को न जाने कौनसी बीमारी लगी कि उम्र के साथ साथ चेहरा तो विकसित हो गया लेकिन शरीर विकसित नही हो पाया शरीर से वह आज भी बच्ची ही लगती है धापा अब सिर्फ़ बोल सकती है उसके शरीर के सभी अंग शून्य है अपनी बीमारी के बारे में धापा भी परिचित है वह पढ़ कर डॉक्टर बनना चाहती है1<br />बेचारी धापा ये नही जानती कि वह जो सपना देख रही है वो पुरा नही होगा धापा के परिवार वाले खेत मजदूरी कर जैसे तैसे अपना निर्वाह कर रहे हैं इसके बावजूद अपनी हैसियत के अनुसार उन्होंने धापा को जहाँ दिखाना था दिखाया लेकिन बात नही बनी न डॉक्टर ने सूनी और न ही प्रशासन ने शायद इस परिवार की मुफ्लिशी इसकी वजह रही हो<br />धापा की इस बीमारी को डॉक्टर लाइलाज बताते हैं डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मरीजों कि उम्र कम होती है<br /> गरीबी ने इस परिवार को आर्थिक रूप से पुरी तरह तोड़ रखा है बेटी चारपाई पर पड़ी है वह न हिल डूल सकती है और न ही बड़ी हो रही है थोड़े दिन बाद वह सदा सदा के लिए रुखसत हो जायेगी लेकिन उसे बचने के प्रयास कोई भी नही कर रहा पड़ोसी अपील कर रहे हैं कि कोई मदद मिले तो भले ही वह ठीक न हो लेकिन उसकी जिन्दगी के दिन कुछ दिन और बढ़ सकते हैं<br />कुदरत भी क्या क्या खेल खिलाती है जो जीना चाहता है समाज के लिए कुछ करना चाहता है उसे लाचार बनाकर चारपाई पर डाल दिया और जिन्हें मौत मिलनी चाहिए वे आंतक के रूप में मौत का सरेआम तांडव कर जश्न मना रहे हैं शायद धापा कुदरत के इस क्रूर खेल में हर जाए लेकिन यह हर धापा कि नही विज्ञानं कि होगी हमारे समाज कि होगी और हमारे प्रशासन कि होगी इस मासूम कि जान बचने के प्रयास सिर्फ़ उसके परिवार कि मुफलिसी वजह से नही किए<br /><br />संवाद संकलन <br />गुलामनबीसंवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4739294091515531326.post-29045333636639231362010-03-13T07:20:00.000-08:002010-03-13T07:23:12.411-08:00ओम पुरोहित ‘कागद’ री कवितावां….. <br /><br />मा- १<br />घर मांय बी<br />निरवाळौ घर<br />बसायां राखै<br />म्हारी मा।<br />दमै सूं<br />उचाट होयोड़ी<br />नींद सूं उठ’र<br />देर रात ताणी<br />सांवटती रे’वै<br />आपरी तार-तार होयोड़ी<br />सुहाग चूनड़ी।<br />बदळती रे’वै कागद<br />हरी काट लागियोड़ा<br />सुहाग कड़लां<br />रखड़ी-बोरियै-ठुस्सी री<br />पुड़ी रा<br />लगै-टगै हर रात।<br /><br />मा- २<br />साठ साल पै’ली<br />आपरै दायजै मांय आई<br />संदूक नै<br />आपरी खाट तळै<br />राख’र सोवै मा।<br />रेजगारी राखै<br />तार-तार होयोड़ी सी<br />जूनी गोथळी मांय<br />अर फेर बीं नै<br />सावळ सांवट‘र<br />राख देवै<br />जूनी संदूक मांय।<br />पोती-पोतां सागै<br />खेलतां-खेलतां<br />फुरसत मांय कणां ई<br />काढ’र देवै<br />आठ आन्ना<br />मीठी फांक<br />चूसण सारू।<br /><br />मा- ३<br />मुं अंधारै<br />भागफाटी उठ’र<br />पै’ली<br />खुद नहावै<br />फेर नुहावै<br />तीन बीसी बरस जूनै<br />पीतळ रै ठाकुर जी नै<br />जकै रा नैण-नक्स<br />दुड़ गिया<br />मा रै हाथां<br />नहावंता-नहावंता।<br />मोतिया उतरयोड़ी<br />आंख रै सारै ल्या<br />ठाकुर जी रो मुंडौ ढूंढ’र<br />लगावै भोग<br />अर फेर<br />सगळां नै बांटै प्रसाद<br />जीत मांय हांफ्योड़ी सी।<br /><br />मा- ४<br />टाबरां मांय टाबर<br />बडेरां मांय बडेरी<br />हुवै मा।<br />टाबरां मांय<br />कदै’ई<br />बडेरी<br />नीं हुवै मा।<br />पण<br />हर घर मांय<br />जरुर हुवै मा<br />रसगुल्लै मांय<br />रस री भांत।संवाद सेतुhttp://www.blogger.com/profile/01956579077979704150noreply@blogger.com0